Friday, September 22, 2023
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भारतीय बाजार में बढ़ी इस खाद्य तेल की कीमत, निर्यात टैक्‍स में इजाफे का असर

भारत सरकार की तरफ से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर सीमा शुल्क घटाए जाने का इंडोनेशिया गैर-वाजिब फायदा उठा रहा है। वहां की सरकार ने इस खाद्य तेल पर निर्यात टैक्स बढ़ा दिया, जिसके कारण भारतीय बाजार में इसकी कीमतें घटने की जगह बढ़ गईं और सरकार का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। भारत में कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क घटाने का फायदा मलेशिया को हो रहा है। निर्यातक देश ने इस खाद्य तेल पर निर्यात टैक्स 66,366 रुपये प्रति टन बढ़ाया है।

नई दिल्ली ने 26 नवंबर, 2020 को सीपीओ पर सीमा शुल्क में 10 प्रतिशत कटौती की थी। इसके तत्काल बाद दुनिया के सबसे बड़े पाम तेल निर्यातक इंडोनेशिया ने इसपर निर्यात टैक्स में 30 डालर (करीब 2,212 रुपये) प्रति टन की बढ़ोतरी कर दी। जाहिर है, भारत में सीमा शुल्क घटाए जाने का बड़ा फायदा इंडोनेशिया उठा रहा है, जबकि भारत सरकार को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

‘सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (सोपा) के मुताबिक भारत सालाना 70 लाख टन सीपीओ का आयात करता है। इसकी औसत कीमत 900 डॉलर (लगभग 66,366 रुपये) प्रति टन के हिसाब से सीमा शुल्क घटाए जाने के चलते केंद्र सरकार को हर साल करीब 4,600 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा।

सोपा के चेयरमैन डेविश जैन ने केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इस तरफ ध्यान दिलाया है। पत्र में उन्होंने कहा है, ‘हम लंबे समय से खाद्य तेल के आयात पर सीमा शुल्क ऊंची रखने के पक्षधर रहे हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है और इस लिहाज से यहां इस पर सीमा शुल्क घटाए जाने का अक्सर निर्यातक देश फायदा उठाते हैं। इसके लिए वे या तो खाद्य तेल की कीमतें बढ़ा देते हैं या फिर इसके निर्यात टैक्स में बढ़ोतरी कर देते हैं।’

सोपा ने इस बात की भी तगड़ी आशंका जताई है कि इंडोनेशिया के निर्यातक जल्द सीपीओ की कीमत बढ़ा सकते हैं। मलेशिया भी इसी राह पर चलने वाला है। भारत ज्यादातर सीपीओ का आयात इंडोनेशिया और मलेशिया से करता है। सोपा ने सरकार से गुजारिश की है कि सोयाबीन तेल और सनफ्लावर ऑयल पर मौजूदा सीमा शुल्क ढांचा बनाए रखा जाए, ताकि घरेलू तेल उद्योग और तिलहन किसानों के हितों की रक्षा की जा सके।