जो खिलाड़ी टीम में नहीं था वह बना मैन ऑफ द मैच, 143 साल के इतिहास में हुआ ऐसा
क्रिकेट का इतिहास कई हैरतअंगेज कारनामों से भरा है। ऐसा ही एक कारनामा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में भारत के युजवेंद्र चहल ने किया। जब भारतीय टीम मैच खेलने उतरी तो अंतिम एकादश में उनका नाम नहीं था। या यूं कहें कि कप्तान विराट कोहली ने अपने चहेते माने जाने वाले चहल को अंतिम एकादश के लायक नहीं समझा था। खैर भविष्य के गर्त में कुछ और छिपा था… यानी आज का दिन चहल के नाम होने वाला था। चहल ने ऐसा कीर्तिमान बनाया, जो 143 साल के क्रिकेट इतिहास में उनसे पहले कभी किसी ने किया नहीं। चहल क्रिकेट इतिहास के पहले खिलाड़ी बन गए हैं, जो प्रारंभिक अंतिम एकादश में नहीं था, लेकिन मैन ऑफ द मैच बना। क्रिकेट इतिहास का पहला आधिकारिक मैच 15 से 19 मार्च 1877 तक इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच मेलबोर्न क्रिकेट मैदान पर खेला गया था। इस लिहाज से देखें तो 143 साल के इतिहास में चहल पहले खिलाड़ी हैं जो अंतिम एकादश में न होकर भी मैन ऑफ द मैच बन गया।
जडेजा चोटिल हुए… दर्द ऑस्ट्रेलिया को :
किसी टीम का प्रमुख खिलाड़ी यदि बीच मैच में चोटिल हो जाए तो वह टीम मायूस और विपक्षी के चेहरे पर राहत भरी मुस्कान आ जाती है। मगर यहां बीच मैच में भारत के लिए सबसे अहम किरदार निभा रहे रवींद्र जडेजा के चोटिल होने के बाद जो हुआ उसने पूरे ऑस्ट्रेलिया में मायूसी छा दी। भारत ने पहले टी-20 मैच में सात विकेट खोकर 161 रन बनाए। पारी के आखिरी ओवर में रवींद्र जडेजा के हेलमेट में गेंद लगी थी। इसके पहले भी वे चोटिल हो चुके थे। कन्कशन स्थानापन्ना के नए नियमों के तहत दूसरी पारी में उनकी जगह युजवेंद्र चहल को खेलने का मौका मिला। चहल की गेंदों ने कमाल दिखाया और ऑस्ट्रेलियाई टीम सात विकेट पर 150 रनों तक ही पहुंच सकी। चहल ने अपने कोटे के चार ओवरों में 25 रन खर्च किए और तीन विकेट चटकाए। इनमें विपक्षी कप्तान आरोन फिंच, स्टीवन स्मिथ और मैथ्यू वेड जैसे दिग्गज बल्लेबाज शामिल हैं। नतीजतन आधा ही मैच खेल खेलकर वे पूरे मैच के मैच के हीरो बन गए। क्रिकेट इतिहास में यह पहली बार हुआ जब कोई स्थानापन्ना खिलाड़ी मैन ऑफ द मैच बना हो।