सरकार का फैसला, CBDT चेयरमैन की निगरानी में एक टीम करेगी जांच

भारत सरकार ने पेंडोरा पेपर्स लीक से जुड़े मामलों की जांच कराने का फैसला किया है। CBDT के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने सोमवार को बताया, “सरकार ने निर्देश दिया है कि इस मामले की जांच सीबीडीटी चेयरमैन निगरानी में होगी। साथ ही जांच से जुड़ी टीम में सीबीडीटी के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ED), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (FIU) के सदस्य भी शामिल होंगे।” पेंडोरा पेपर्स एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका हिंदी अर्थ “भानुमती के पिटारे से निकले दस्तावेज” होता है। इस रिपोर्ट ने कई देशों के लोगों के कथित तौर पर छुपाकर रखे गए धन की जानकारी है और बताया है कि इन लोगों ने, किस प्रकार हजारों अरब डॉलर की अवैध संपत्ति को छुपाने के लिए विदेश में खातों का इस्तेमाल किया।

 

क्या हैं पेंडोरा पेपर्स?

पत्रकारों के एक समूह ने दुनिया भर की 14 कंपनियों से मिलीं लगभग एक करोड़ 20 लाख फाइलों की जांच-पड़ताल के बाद एक खुलासा किया है, जिसे पेंडोरा पेपर्स का नाम दिया गया है। इस रिपोर्ट को “इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स” ने जारी किया है, जो 117 देशों के 150 मीडिया संस्थानों के 600 पत्रकारों की मदद से तैयार की गई है। इन मीडिया संस्थानों में बीबीसी, द गार्डियन, द वाशिंगटन पोस्ट, ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन सहित एक भारतीय अंग्रेजी अखबार भी शामिल है।

किन लोगों के नाम हैं शामिल?

इन पेपर्स में भारत सहित दुनिया भर के 91 देशों के सैकड़ों नेताओं, कारोबारियों, मशहूर हस्तियों, धार्मिक नेताओं और नशीले पदार्थों के डीलर्स के ऐसे निवेशों का खुलासा हुआ है, जिसे उन्होंने पिछले 25 सालों से विदेशों में गुप्त तरीके से छुपाकर रखा था। इसमें भारत के भी 300 लोगों के नाम है, जिन्होंने इनकम टैक्स से बचने के लिए अपनी कमाई को विदेशों में छुपाकर रखा। इस रिपोर्ट में जिन बड़े लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस, केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा और इक्वाडोर के राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो शामिल हैं।