यूक्रेन से 1.5 लाख टन सूरजमुखी तेल आएगा भारत
रूस और यूक्रेन युद्ध से खाद्य तेलों के दाम में तेजी है। काला सागर क्षेत्र से खाद्य तेलों का निर्यात प्रभावित हो रहा है। इन दोनों देशों से सनफ्लावर तेल की करीब 80 फीसदी सप्लाई होती है। यूरोपियन यूनियन को सनफ्लावर की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच केंद्र सरकार ने कीमतों को काबू में रखने और आपूर्ति सुनिश्चित बनाए रखने के लिए प्रमुख खाद्य तेल उद्योग प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन वेजिटेबल आइल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के साथ तमाम बड़े तेल उद्योग के प्रतिनिधियों ने तेल की आपूर्ति के प्रति सरकार को आश्वस्त कर दिया है।
उद्योग प्रतिनिधियों ने कहा युद्ध जारी रहा तो भी अगले दो माह तक सूरजमुखी समेत सभी खाद्य तेलों की आपूर्ति में बाधा नहीं है। दरअसल यूक्रेन से हमारे देश में सबसे ज्यादा सूरजमुखी तेल आयात होता है। उद्योग के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल से कहा कि युद्ध से ठीक पहले ही यूक्रेन से 1.5 लाख टन सूरजमुखी तेल की खेप भारत के लिए रवाना हो चुकी है। इस खेप की डिलीवरी मार्च में भारत में होना है। भारत में एक माह में करीब 18 लाख टन खाद्य तेल की खपत होती है। इसमें सूरजमुखी तेल का हिस्सा करीब 1.5 लाख टन है। यह मांग एक लाख टन तेल का आयात पूरा कर सकता है।देश में सरसों का उत्पादन भी अच्छा है। नई सरसों की आवक बढ़ने के साथ खाद्य तेल के दामों में गिरावट आ सकती है।इधर सीबाट सोयाबीन में मुनाफावसूली से खाद्य तेल में गिरावट की स्थिति बनी हुई है। शनिवार इंदौर में मूंगफली तेल में ग्राहकी का सपोर्ट नहीं मिलने और गुजरात तरफ से बिकवाली का दबाव बढ़ने के कारण 10 रुपये और टूटकर 1530-1550 रुपये प्रति दस किलो रह गया। दूसरी ओर सोया तेल की उपलब्धता सुगम नहीं होने से घटते दामों में रुकावट आई है। शनिवार को ज्यादातर प्लांट 1550-1560 रुपये प्रति दस किलो के दाम बोल रहे है लेकिन कुछ प्लांट रिसेल में 1540-1545 रुपये में बिकवाल है। व्यापारियों का कहना है कि यूक्रेन-रूस में तनाव की स्थिति कब तक जारी रहेंगे, इस पर अनिश्चितता रहने से बाजार में भारी उथल-पुथल बनी रहने वाली है। हालांकि बीते सत्र की मुनाफावसूली के कारण नरमी को अस्थायी भी माना जा रहा है। अमेरिका ने 3.39 लाख टन सोयाबीन की बिक्री किए जाने की चर्चा है।